'नीरजा' के गीतों में संगीत का बहुत सुन्दर प्रवाह है। हृदय के अमूर्त भावों को भी, नव नव उपमाओं एवं रूपकों द्वारा कवि ने बड़ी मधुरता से एक-एक सजीव स्वरूप प्रदान कर दिया है। भाषा सुन्दर, कोमल, मधुर और सुस्निग्ध है। इसके अनेक गीत अपनी मार्मिकता के कारण सहज ही हृदयंगम हो जाते हैं।
श्रीमती वर्मा की काव्यशैली में अब तक अनेक परिवर्तन हो चुके हैं और यह परिवर्तन ही उनके विकास का सूचक है। अपने प्रारम्भिक कवि-जीवन में महादेवी 1 जी ने सामाजिक और राष्ट्रीय कविताएँ भी लिखी थी; परन्तु उनकी प्रतिभा यहाँ तक सीमित नहीं रही। फलतः 'नीरजा' और 'रश्मि' द्वारा ही वे अपने व्यापक कवि-रूप में हिन्दी संसार में प्रतिष्ठित हुई। अब इस 'नीरजा' में उसकी प्रतिभा और भी भव्यरूप में प्रफुल्ल हुई है। इसमें भाषा, भाव और शैली सभी दृष्टियों से उनकी प्रतिभा का उत्कृष्ट विकास हुआ है। हमें पूर्ण आशा है कि उनकी यह नूतन कलाकृति उनके पथ को हमारे साहित्य में और भी समुज्ज्वल कर देगी और साहित्य रसिकों के अपार प्रेम की वस्तु बनेगी।
नीरजा | Nirja
Author
Mahadevi Verma
Publisher
Lokbharti Prakashan
No. of Pages
94