शेखावत, क्षत्रियों के छत्तीस परिख्यात राजवंशों के कछवाहा कुल की एक परिगण्य शाखा है। राजस्थान में आरम्भ में आमेर ही कछवाहों का एकमात्र राज्य था। आमेर से भैराणा (नरूखंड) तथा बरवाड़ा (अमरसर) दो नवीन कछवाह राज्यों का आविर्भाव हुआ। शेखावत तथा शेखावाटी प्रदेश का नामकरण राव शेखाजी कछवाह के नाम पर प्रचलित हुआ। राव शेखाजी आमेर नरेश महाभाग राजा उद्यक रणजी कछवाहा के पुण्यश्लोक तृतीय पुत्र राव बालाजी के पौत्र और परम भागवत राव मोकलजी के पुत्र थे। कछवाहा कुल में राव शेखाजी महान् प्रतापी, अप्रितम साहसी, प्रचण्ड पराक्रमी, दीर्घ द्रष्टा तथा क्षात्र-परम्पराओं के अद्वितीय पूजक पुरुष हुए। राव शेखाजी और उनकी ख्यातियशा संतति शेखावतों का अधिकृत भू-भाग ही शेखावाटी कहलाता है।
शेखावाटी नामधेय यह भूखण्ड अपने बल-विक्रम, साहस संगठन तथा सूझ-बुझ के लिए राजस्थान में सदैव सामाजिक, राजनैतिक, शैक्षणिक एवं व्यावसायिक क्षेत्र में सर्वोपरि परिगण्य रहा है। शेखावत अभिजन के अधिकार से पूर्व यह भू-क्षेत्र क्षत्रियों के निरबाण, सांखला, दहिया, यादव, टाक, चंदेल, गौड़, तंवर, खानजादे, तथा कायमखानी आदि विभिन्न जातियों एवं विविध घटकों के अधीन था। राजनैतिक रूप में ये विभिन्न स्वायत्त राज्य परस्पर असम्बद्ध, स्वाश्रित एवं स्वतन्त्र थे। अनेक जाति समुदाय एवं राजनैतिक विरोधों के कारण उनमें न राजनैतिक एकत्व भावना थी, न सामाजिक अभिषंगत्व था और न केन्द्रीय शक्ति-संगठन।
Raav Shekha | राव शेखा
Author
Surjan Singh Shekhawat
Publisher
Surjan Singh Shekhawat Smriti Sansthan
No. of Pages
244























