राजस्थानी दोहावली राजस्थान प्रदेश के उस संस्कृति का प्रतिबिम्ब है, जो वीरता, मुंगार, भक्ति, नीति और व्यवहारिक ज्ञान की गरिमा से सम्पन्न गौरवशाली परम्पराओं और विलक्षण आदर्शों से परिपूर्ण है। यह उस प्रदेश की संस्कृति है, जहाँ की चप्पा-चप्पा भूमि वीरत्व की गाथाओं से गूंजती है। जहाँ की सतियों और सूरमाओं ने आन, मान और मर्यादा की रक्षा के लिए असंख्य बलिदान दिए। जहाँ के भक्तों ने अपने भक्ति-बल से प्रभु को प्रत्यक्ष रूप से प्रकट किया। जहाँ के ज्ञानी संतों ने जीवन और जगत के, आत्मा और परमात्मा के रहस्यों को खोजा। जहाँ के प्रेमी- हृदय प्रेम के पर्याय बन गए जहाँ की नीति कुशलता सुविख्यात है और सौन्दर्य बेजोड़ है। प्रकृति से निरन्तर जूझते हुए भी सदा संतुलित, संयमित और प्रसन्न रहने वाले इस प्रदेश की सांस्कृतिक धरोहर और उसके वर्तमान स्वरूप का, अपनी पूर्ण विविधता के रूप में, इस संग्रह में चित्रण हुआ है।
दोहा राजस्थानी साहित्य का वह लोकप्रिय विशेष छंद है, जिसमें किसी भी भाव को अत्यन्त प्रभावकारी एवं मार्मिक रीति से व्यज्जित करने की अद्भुत शक्ति है। यही कारण है कि यह छंद अनेक सूक्तियों के रूप में जन-जन की वाणी में मुखरित होता रहता है। अन्य भाषाओं की तुलना में राजस्थान का यह भण्डार विपुल है। इसके कथन का अलग ही अन्दाज है, बाँकपन है। राजा-रंक, धनी निर्धन, सभी धर्मों और जातियों के लोगों का सहयोग इस प्रकार के साहित्य के निर्माण में हो रहा है। अनपढ़ व्यक्तियों से लेकर साहित्यकारों तक और वाचाल यश-गायकों से लेकर मौन मूक साधकों तक, सभी ने अपने अनुभव का सूत्र इस छंद में जोड़ा है और इस भण्डार को समृद्ध बनाया है|
राजस्थानी दोहावली | Rajasthani Dohawali
Author
Samudra Singh Jodha
Publisher
Rajasthani Granthagar
No. of Pages