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मेवात भगवानदास मोरवाल के य और नागरिक सरोकारों का केन्द्र रहा है। अपनी मिट्टी की संस्कृति, उसके इतिहास और सामाजिक-आर्थिक पक्षों पर उन्होंन बार-बार निगाह डाली है। काला पहाड़ के बाद खानादा उपन्यास इसकी अगली कहाँ है। इस उपन्यास का महत्व इस बात भी है कि यह उन अदृश्य तथ्यों की निर्ममता से पड़ताल करता है जो हमारी आज की राष्ट्रीय चिन्ताओं से सीधे जुड़े हुए हैं। तुगलक द लोदी और मुगल राजवंशों द्वारा चौदहवीं सदी के मध्य से देहली के निकट मेवात में मची तबाही की दस्त प्रस्तुति करते हुए यह उपन्यास वासियों की उन शौर्य गाथाओं को भी सामने लाता है जिनका इतिहास में बहुत उल्लेख नहीं हुआ है।

खानज़ादा | Khanzada

SKU: 9789389598957
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₹359.10Sale Price
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  • Author

    Bhagwandas Morwal

  • Publisher

    Rajkamal Prakashan

  • No. of Pages

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