प्रस्तुत पुस्तक आदिवासी विमर्श पर केन्द्रित है जिसमें आदिवासी साहित्य सामाजिक-सांस्कृतिक परिवेश के साथ स्वतन्त्रता आन्दोलनों में उनके योगदान, ऐतिहासिक परिदृश्य, आदिवासी अस्तित्व, अस्मिता, विकास, विस्थापन एवं भूमण्डलीकरण के पहलुओं को दर्शाने का प्रयास किया गया है। इस पुस्तक में कुल 23 आलेखों का प्रस्तुतीकरण किया गया है जिसमें आदिवासी आन्दोलन, मानगढ़ क्रान्ति, लोकगीत, कविताओं में विस्थापन का दर्द, भारतीय राजनीति में महिलाएँ, लोककलाएँ, आदिवासी कल्याणकारी योजनाएँ एवं कार्यक्रम, भारत में आदिवासियों की स्थिति, समस्याएँ, चुनौतियाँ एवं सम्भावनाओं को लेखकों ने अपने मन्तव्यानुसार विश्लेषित करने का प्रयास किया गया है। इस पुस्तक में आदिवासी शब्द का अर्थ, संवैधानिकता का दर्जा जैसे मुद्दों पर प्रश्न उठाकर चर्चा को आगे बढ़ाने का प्रयास कर नवीन साहित्य का सृजन किया गया है।
भारत के आदिवासी | Bharat Ke Aadivasi
Author
Dr. Janak Singh Meena, Dr. Kuldeep Singh Meena
Publisher
Vani Prakashan
No. of Pages
243