हिन्दू-संस्कृति की पाचन-शक्ति बड़ी ही प्रचंड मानी जाती है । इसका कारण शायद यह है कि जब आर्य इस संस्कृति का निर्माण करने लगे, तब उनके सामने अनेक जातियों को एक संस्कृति में पचाकर समन्वित करने का सवाल था जो उनके आगमन के पहले से ही इस देश में बस रही थी । अतएव उन्होंने आरम्भ से ही हिन्दू-संस्कृति का ऐसा लचीला रूप पसंद किया जो प्रत्येक नई संस्कृति से लिपटकर उसे अपनी बना सके।
हमारी सांस्कृतिक एकता । Hamari Sanskritik Ekta
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Author
Ramdhari Singh Dinkar
Publisher
Lokbharti Prakashan
No. of Pages
176
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