हमारे देश में कई महान् विचारक, समाज सुधारक एवं लेखक हुए, जिन्होंने न केवल समाज को नई धारा दी बल्कि कुछ ऐसी 'थातियाँ' भी सौंपी जिससे आने वाली पीढ़ियाँ प्रेरित हों। महात्मा गाँधी जैसी महान् आत्मा ने ताउम्र यही प्रयास किया कि समाज में अहिंसा, न्याय, समानता की स्थापना हो, इसी दिशा में उन्होंने 'सर्वोदय' अर्थात् सबका उदय (उन्नति) का विचार दिया। वर्तमान समय में मनुष्य केवल अपने स्वार्थ के विषय में सोच रहा है, 'पीड़- पराई' न कोई देखना चाहता है, न दूर करना चाहता है। ऐसे समय में' सर्वोदय' का महान् विचार समसामयिक लगता है। समान का एक वर्ग कमजोर हो तो दूसरा कैसे उन्नति कर सकता है ?' सर्वे भवन्तु सुखिनः हमारी संस्कृति रही है। संवाद एक धारणा है, एक विचार हैं समाज के सर्वांगीण विकास का। संपादक मनोज अरोड़ा इन्सां ने गाँधीजी के मूल लेखनाबादव' को युवा-ऊर्जा के साथ नए कलेवर में पश किया है। महान् विचारों को पूर्व की भाँति इन्होंने सरल भाषा में प्रस्तुत करने प्रयास किया है। चार अध्यायों सहित सारांश का यह संग्रह अनमोल एवं पठनीय बन पड़ा है। आज के परिप्रेक्ष्य में जब राजनैतिक, सामाजिक, नैतिक प्रत्येक स्तर पर गिरावट का दौर जारी है। उसमें 'सर्वोदय' सूर्योदय की भाँति नवीन रोशनी, उन्नति का परिचायक बन सकता है।
Sarvoday | सर्वोदय
Author
Mohandas Karamchand Gandhi
Publisher
Sahityagar
No. of Pages
95
























