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शेरशाह, मध्यकालीन भारतीय इतिहास मंडल में एक ऐसा दैपपमान नक्षत्र उदय हुआ था जिसने अपने शौर्य, साहस दूरदर्शिता तथा कुशल सैन्य संगठन के बल पर एक सशक्त मुगल सत्ता को ऐसा ग्रहण लगाया कि वह इसके जीते जी पुनः भारतीय आकाश में नहीं चमक सकी। शेरशाह एक कुशल प्रशासक था, इसने एक वृहत साम्राज्य की स्थापना ही नहीं की, बल्कि शासन संबंधी एकरूपता की दृष्टि से एक सुसंघटित एक तंत्र की नींव भी डाली अर्थात यह पहला शासक था जिसने सबसे पहले केन्द्रीय सरकार और साम्राज्य के प्रत्येक भाग के बीच सीधा संबंध स्थापित किया था इससे पूर्व किसी भी दिल्ली सुल्तान ने ऐसी व्यवस्था करने का यत्न नहीं किया। शेरशाह ने अपने कठोर अनुशासन से साम्राज्य में व्याप्त अपराधों को समाप्त ही नहीं किया बल्कि उसने अपने नियम और राज्यादर्शों का दृढ़ता से पालन करते और कराते हुए सारे देश में शांति ओर सुव्यवस्था का वातावरण स्थापित कर दिया था। शेरशाह, अपने जीवन में शासक कम रहा बल्कि एक सिपाई बन कर ज्यादा रहा। शासक-प्रशासकों को इसके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिये... भ्रष्टाचार और विलासता के उन्मूलन के लिये यह आवश्यक भी है।

Shershah Suri | शेरशाह सूरी

SKU: 9788177113389
₹300.00 नियमित मूल्य
₹255.00बिक्री मूल्य
मात्रा
स्टाक खत्म
  • Author

    Damodarlal Garg

  • Publisher

    Sahityagar

  • No. of Pages

    156

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