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'नायक के मर जाने भर से कहानी नहीं मरती बल्कि कभी-कभी अमर हो जाती है।'

आरामगंज यानी जात-धर्म के दुष्चक्र में फँसा असली हिंदुस्तान। 1990 के आरामगंज की कहानी तीस साल बाद 'रामभक्त रंगबाज़' की शक्ल में सामने आई और दिलों पर छा गई। हिंदी की परंपरागत सीमा से परे जाकर यह किताब हर जगह प्रशंसा बटोर रही है।

प्रतिष्ठित ओपन मैगज़ीन ने इसे अँग्रेज़ी समेत तमाम भारतीय भाषाओं में लिखी गई 2022 की सर्वश्रेष्ठ कृतियों में रखा, वहीं हिंदुस्तान टाइम्स ने भी 'बुक ऑफ़ द ईयर' क़रार दिया।

किताब का अँग्रेज़ी अनुवाद जल्द ही पाठकों के सामने होगा। जर्मन समेत कुछ अन्य विश्व भाषाओं में भी अनुवाद की तैयारी शुरू हो चुकी है।

Rambhakt Rangbaaz | रामभक्त रंगबाज़

SKU: 9788195306145
₹299.00 नियमित मूल्य
₹269.10बिक्री मूल्य
मात्रा
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  • Author

    Rakesh Kayasth

  • Publisher

    Hind Yugm

  • No. of Pages

    240

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