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'राजस्थान के लोक- देवता'

कृति में तुर्कों के आक्रमण से राजस्थान की राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, धार्मिक और सांस्कृतिक स्थिति में जो परिवर्तन आया, धर्मान्तरण देखने को मिला, हिन्दू समाज में छुआ-छूत, अस्पृश्यता की बढ़ती हुई मनोवृत्ति एवं परिणामस्वरूप समाज के निम्न वर्ग का इस्लाम की ओर आकर्षित होना, धर्म के नाम पर मिथ्या आडम्बरों का बोलबाला, हिन्दू स्त्रियों की अवनति जैसी संक्रमणकालीन परिस्थितियों में धर्म और परम्परा की रक्षा, स्थानीय जनता और पशुओं की रक्षा, निम्न वर्ग को उत्पीड़न से मुक्ति दिलाने और नि:स्वार्थ भाव से लोककल्याणकारी कार्यों के लिए उत्कृष्ट और आदर्श व्यक्तित्व के धनी-गोगाजी, तेजाजी, पाबूजी, जांभोजी, रामदेवजी, देवनारायणजी, मल्लीनाथजी, मेहाजी, कल्लाजी जैसे लोग जनता के समक्ष आए, जिन्होंने अपने शौर्य, आत्मोत्सर्ग और लोकमंगलकारी कार्यों से जनता को अभिभूत किया तथा जनता ने भी कृतज्ञता ज्ञापित कर उन्हें आराध्य जैसा पूज्यत्व प्रदान किया, ऐसे लोकदेवताओं के कतित्व और व्यक्तित्व को उजागर

राजस्थान के लोकदेवता । Rajasthan Ke Lokdevta

SKU: 9789380405223
₹250.00 नियमित मूल्य
₹212.50बिक्री मूल्य
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स्टाक खत्म
  • Author

    Prof. Mishrilal Mandot

  • Publisher

    Sahityagar

  • No. of Pages

    148

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