प्राचीन से लेकर मध्य व उसके पश्चात् भी अनेक राजा-महाराजाओं ने अपनी सूझ-बूझ, वीरता तथा शौर्य से न केवल प्रजा की रक्षा की, बल्कि अनगिनत राजमहलों, शिलालेखों, मन्दिरों के साथ- साथ कस्बों, नगरों एवं राजधानियों के निर्माण में भी अहम भूमिका निभाई।
ब्रिटिश राज में जब आम जनता पर अंग्रेजों के बेशुमार जुल्मों का साया मंडराया, तो उस काल में भी भिन्न-भिन्न राज्यों के महाराणाओं ने साहस का प्रदर्शन कर स्वतन्त्रता संग्राम के युद्ध में भारत की आन-बान-शान को बचाने में अपनी सम्पूर्ण शक्ति को दाँव पर लगा दिया, जिनमें विशेषकर नाना साहब, धोडोपन्त तथा झांसी का नाम सुनहरे अक्षरों में अंकित हुआ। इनके अलावा महाराणा संग्राम सिंह, महाराणा कुम्भा, परमप्रतापी महाराणा प्रताप तथा महारणा उदयसिंह ने अपने राज्य व प्रजा के सुख-सुविधा हेतु जिन-जिन कार्यों को किया उन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकता।
प्रस्तुत पुस्तक 'मेवाड़ के महाराणा' में सुविख्यात इतिहासकार एवं साहित्य मनीषी श्री रमाकान्त पाण्डेय 'अकेले' ने बीते इतिहास तथा अतीत के झरोखों से रूबरू करवाते हुए 'महाराणा बप्पा रावल' से लेकर 'महाराणा राजसिंह' के जीवन से जुड़े ऐतिहासिक कार्यों, प्रसंगों, युद्धों एवं अलौकिक शौर्य को अत्यन्त सरल एवं सुबोध भाषाशैली का प्रयोग कर पाठकों को इतिहास से परिचय करवाने का अति सराहनीय कार्य किया है। जहाँ एक ओर पुस्तक में तेरह राजाओं की जीवनी को दर्शाया है, वहीं दूसरी ओर पुस्तक के अन्त में 'उपसंहार' के रूप में कम परन्तु विशेष शब्दों में प्रस्तुत ऐतिहासिक ग्रन्थ
Mewar Ke Maharana | मेवाड़ के महाराणा
Author
Ramakant Pandey 'Akele'
Publisher
Apollo Prakashan
No. of Pages
144
























