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'बिस्रामपुर का संत' समकालीन जीवन की ऐसी महागाथा है जिसका फलक बड़ा विस्तीर्ण है जो एक साथ कई स्तरों पर चलती है।

एक ओर यह भूदान आन्दोलन की पृष्ठभूमि में स्वातंत्र्योत्तर भारत में सत्ता के व्याकरण और उसी क्रम में हमारी लोकतांत्रिक त्रासदी की सूक्ष्म पड़ताल करती है, वहीं दूसरी ओर एक भूतपूर्व तअल्लुकेदार और राज्यपाल कुँवर जयंतीप्रसाद सिंह की अन्तर्कथा के रूप में महत्त्वाकांक्षा, आत्मछल, अतृप्ति, कुंठा आदि की जकड़ में उलझी हुई ज़िन्दगी को परत-दर-परत खोलती है। फिर भी इसमें सामन्ती प्रवृत्तियों की हासोन्मुखी कथा-भर नहीं है, उसी के बहाने जीवन में सार्थकता के तन्तुओं की खोज के सशक्त संकेत भी हैं। यह और बात है कि कथा में एक अप्रत्याशित मोड़ के कारण, जैसा कि प्रायः होता है, यह खोज अधूरी रह जाती है।

'राग दरबारी' के सुप्रसिद्ध लेखक श्रीलाल शुक्ल की यह कृति, कई आलोचकों की निगाह में, उनका सर्वोत्तम उपन्यास है।

बिस्रामपुर का संत | Bisrampur Ka Sant

SKU: 9788126715671
₹250.00 नियमित मूल्य
₹225.00बिक्री मूल्य
मात्रा
स्टाक खत्म
  • Author

    Shrilal Shukla

  • Publisher

    Rajkamal Prakashan

  • No. of Pages

    207

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