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कहानी सुनना और सुनाना भारतीय जीवन की एक आदि परम्परा रही। जिस समय साहित्य का विकास नहीं हुआ था उस समय दादी माँ और चन्दामामा के नाम से बूढ़ी मातायें बच्चों के मनोरंजनार्थ कहानियाँ सुनाया करती थी। वर्तमान में भी ग्रामीण अंचलों में चौपालों पर कहानी- किस्सों को सुना जा सकता है। वास्तव में यह विधा बच्चों को ज्ञानवर्धन के साथ- साथ उनके मनोरंजन का साधन हुआ करती थी। कहानियों का यथार्थ में कोई स्वरूप नहीं होता, जब तक किसी घटना को परिकल्पना की ओढ़नी से श्रृंगारित कर मनोरंजक नहीं बनाया जावे। हम देखते हैं कि लेखक ने बहुत ही सावधानी और बारीकी से तत्कालीन घटनाक्रमों को ढूँढ़- ढूँढ़ कर ऐसे सुनहरी धागे में पिरोने का प्रयास किया है जिससे सुनने वाले को जहाँ आनन्द की अनुभूति हो वही पाठक को प्रारम्भिक स्तर की ऐतिहासिक जानकारी भी प्राप्त हो सके।

Dastan E Tawarikh | दास्तान ए तवारीख

SKU: 9788190758314
₹125.00 नियमित मूल्य
₹106.25बिक्री मूल्य
मात्रा
स्टाक खत्म
  • Author

    Damodarlal Garg

  • Publisher

    Sahityasagar

  • No. of Pages

    96

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