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साहित्य की धारा जहाँ मोड़ लेकर सारे परिदृश्य को नया कर देती है, निश्चय ही वहाँ कुछ रचनाएं होती हैं। जहाँ लक्ष्मी क़ैद है ऐसी ही एक कहानी है। 'नई कहानी' आन्दोलन की एक आधार-कथा रचना के रूप में जहाँ लक्ष्मी क़ैद है का उल्लेख किए बिना स्वतंत्रता के बाद की हिन्दी कहानी को नहीं समझा जा सकता।

स्वतंत्रता ने जिन सपनों को जगाया था, उन्हें आपसी सम्बन्धों में तिलमिल कर टूटते देखना, महसूस करना और लिखना हिन्दी कहानी को नया स्वरूप दे रहा था। सम्बन्धों, मानसिकताओं और भाषा में उतरती द्वन्द्वात्मकता में अकेला, अनसमझा व्यक्ति मोहभंग की त्रासदी का साक्षात् प्रतीक है।

जहाँ लक्ष्मी क़ैद है । Jahan Laxmi Kaid Hai

SKU: 9788183613453
₹150.00 नियमित मूल्य
₹135.00बिक्री मूल्य
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  • Author

    Rajendra Yadav

  • Publisher

    Radhakrishan Prakashan

  • No. of Pages

    167

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