बहुत समय से मन था कि मेरी चुनी हई कविताओं का एक संकलन निकले।
मेरा अंतिम कविता-संग्रह वर्षों पहले आया था। मेरे कुल चार संग्रह प्रकाशित हुए हैं। उनमें योग-संयोग कह लें या प्रतिभा के प्राकट्य का दुर्लभ क्षण, किन्तु कुछ सुंदर कविताएँ सम्भव हुई थीं। मेरे गद्य की तुलना में मेरी कविताएँ, परन्तु बहुत कम पढ़ी गई हैं। उन संग्रहों से सबसे अच्छी कविताएँ चुनकर मैंने यह प्रतिनिधि संकलन तैयार किया है। यह पाठकों को रुचिकर लगेगा।
मेरे कविता संग्रहों में 'मैं बनूँगा गुलमोहर' में प्रणय-विषयक कविताएँ थीं हो दुःख की दैनन्दिनी' में विषाद-विषयक। शेष दो संग्रहों- 'मलयगिरि का प्रेत' और 'धूप का पंख' में प्रणय-विषाद की गोधूलि समेत अन्य मिश्र-स्वर थे। इस तरह मेरी सकल-कविताओं को तीन भागों में बाँटा जा सकता है। इस संकलन में भी कविताओं को इन्हीं तीन भिन्न श्रेणियों में संजोया गया है- राग, विराग और अन्य स्वर ।
कविताओं के चयन में छोटी कविताओं को प्राथमिकता दी गई है और कुछ तुलनात्मक रूप से लम्बी कविताएँ मेरी प्रिय होने के बावजूद छोड़ दी हैं। अलबत्ता कुछ गद्यगीत अवश्य सम्मिलित किए हैं। संकलन अब आपके हाथों में है। आशा है एक गद्यकार के विस्मृत कवि-रूप को पाठक दुलारेंगे
Jab Koi Tara | जब कोई तारा
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Author
Sushobhit
Publisher
Pankti Prakashan
No. of Pages
192
























