रेत के समंदर में बेनिशाँ मंज़िलों का सफ़र है, अतीत के शिकस्त इरादों के बचे हुए टुकड़ों पर अब भी उम्मीद का एक हौसला रखा है। जाने-अनजाने, बरसों से लफ़्ज़ों की पनाह में रहता आया हूँ। कुछ बेवजह की बातें और कहानियाँ कहने में सुकून है। कुल जमा जिंदगी रेत का बिछावन है और लोकगीतों की ख़ुशबू है।
चौराहे पर सीढ़ियाँ | Chaurahe Par Seedhiya
SKU: 9789381394373
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Author
Kishore Choudhary
Publisher
Hind Yugm
No. of Pages
160
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