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भारतीय साहित्य की विशेषता है, जो प्रायः और किसी देश को की विविधता भारतीय संस्कृति की विशेष पहचान है। देववाणी संस्कृत से लेकर उपलब्ध नहीं, कि यह साहित्य अनेक भाषाओं में अभिव्यक्त हुआ है। भाषाओं लोकवाणियों तक हजारों वर्ष से हमारी साहित्यिक परम्परा का प्रवाह अटूट चला आ रहा है। भाषा की विविधता के अतिरिक्त भारत की क्षेत्रीय विविधतायें भी असाधारण हैं। हर क्षेत्र में, हर राज्य में, हर भाषा में अपनी-अपनी परम्परायें पाई जाती हैं।

कश्मीर का भी अद्भुत इतिहास रहा है, जो कल्हण की राजतरंगिनी ने अभिव्यक्त किया गया है। महान् दार्शनिक आचार्य अभिनव गुप्त, महान् सम्राट अवंतीवर्मन और ललितादित्य और महान् सूँफी संत ललेश्वरी जैसी विभूतियां यहां पाई गई। कश्मीर का भूगोल, वातावरण और अपनी भाषा के कारण यहाँ का साहित्य भी एक विशेष महत्व रखता है।

प्रेम की कहानियां तो हरेक क्षेत्र में उपलब्ध है, लेकिन कश्मीर वाली कहानियां हिन्दी भाषी जगत तक कम ही पहुँचती हैं। मुझे प्रसन्नता है कि डॉक्टर सुरेश सैनी के प्रयास से कश्मीर की प्रेम-कहानियां अब प्रकाशित होने जा रही है। मुझे विश्वास है कि यह पाठकों को रोचक लगेगी क्योंकि प्रेम तो एक ऐसा भाव है जो गालिब के शब्दों में " लगाए ना लगे और बुझाये ना बने" और फिर यह शेर भी प्रसिद्ध

"तख्त हो, ताज हो, या दौलत हो जमाने भर की ।

कौन सी चीज मुहब्बत से बड़ी होती हे ।।" डाक्टर सुरेश सैनी को इस प्रयास के लिये शुभकामनायें एवं आर्शीवाद । ॐ नम शिवाय

कर्णसिंह

- कर्ण सिंह

कशमीर की प्रेम कथाएँ | Kashmir Ki Prem Kathayen

SKU: 818036075X
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  • Author

    Dr. Suresh Saini

  • Publisher

    Devnagar Prakashan

  • No. of Pages

    112

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