विचार करें तो लगेगा कि हम जिस वाहन को चला रहे, या काम में ले रहे हैं, उसके बारे में हमारी जानकारी नगण्य है। यही हाल हमारा हमारे शरीर के बारे में भी है। जिस शरीर से रात-दिन हमारा वास्ता पड़ता है, हम उसकी साज संवार करने में कितने सक्षम हैं? यही विचार महात्मा गांधी की व्यापक चिंता का कारण बना और उन्होंने 1906 के आस-पास आरोग्य के विषय में सामान्य ज्ञान शीर्षक से 'इंडियन ओपीनियन' में कुछ प्रकरण लिखे, जिनकी लम्बे समय (1942-44) तक जांच-परख करने के बाद नया नाम 'आरोग्य की कुंजी' देते हुए पुस्तक के रूप में देशवासियों और दुनिया के लोगों के लिए लिखा। आरोग्य के बारे में गांधीजी के सुझाव, व्यवहार और जानकारी आज सौ वर्ष से भी अधिक वर्षों के बाद भी कितनी प्रासंगिक है, इसका अनुमान पाठक स्वयं ही लगा सकेंगे।
आरोग्य की कुंजी महात्मा गांधी । Arogya Ki Koonji Mahatma Gandhi
Author
Mohandas Karamchand Gandhi
Publisher
JNBS Academy
No. of Pages
88