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किसी भी ऐतिहासिक व्यक्ति का जीवन-चरित्र उसके सार्वजनिक और निजी जीवन के बीच का द्वंद्व है। हर व्यक्ति अपने कंट्रास्ट में जीता है। महात्मा गांधी भी इससे अछूते नहीं रहे। महात्मा गांधी के जीवन में विचित्र विरोधाभास था। अपने सार्वजनिक जीवन में महात्मा की छवि एक कठोर और सिद्धांत-प्रिय आदमी की थी। एक स्वभाव से जिद्दी आदमी जो अपनी बात मनवाने के लिए वह किसी भी क्षण अपने प्राण जोखिम में डाल सकता है। एक ऐसा आदमी जो मानता था कि विवाहितों को भी एक कोठरी में, एक चारपाई पर नहीं सोना चाहिए। वो खुद ऐसे प्रयोग के लिए तैयार हो गए जो दूसरों के लिए सवर्था वर्जित थे। आधा दर्जन से ज्यादा लड़कियों के साथ नग्नावस्था में सोने की बात महात्मा ने खुद अपने पत्रों में स्वीकार की है। तो फिर वे किस तरह का ब्रह्मचर्य का प्रयोग करना चाहते थे? उसका औचित्य क्या था? करीबी मित्रों की तीखी आलोचना के बाद वे ये प्रयोग रोक देते। लेकिन वे इसे फिर शुरू कर देते। आखिर ये प्रयोग क्या था? इससे क्या हासिल हुआ? 'अधनंगा फ़क़ीर' इन्हीं पहलुओं का मनोवैज्ञानिक धरातल पर पूरी तटस्थता और ईमानदारी से पड़ताल करती है।

Adnanga Fakeer | अधनंगा फ़क़ीर

SKU: 9788195306114
₹199.00 नियमित मूल्य
₹179.10बिक्री मूल्य
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  • Author

    Dayashankar Shukl Sagar

  • Publisher

    Hind Yugm

  • No. of Pages

    240

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