प्रेमचंद की कहानियाँ भारत के आम आदमी के जीवन को चित्रित करती है। उनकी कहानियों का समाज भारतीय जन के निचले तबके का समाज है जिसमें दलितों, गरीबो गरीब किसानों और मजदूरों के जीवन के अनेक रंग और अनेक रूप विद्यमान हैं। उनकी कहानियों में अछूत समस्या पर प्रर्याप्त ध्यान दिया गया है वे वर्ग एवं जाति विहीन समाज का स्वप्न देखते थे। इनमें भारतीय समाज की विविधता अपनी समग्रता में दिखाई देती है। इन कहानियों में जन साधारण की समस्याओं को साहित्य से जोड़ने का अद्भुत प्रयास दिखाई देता है जिसकी मूल चेतना सामंत विरोधी है। इन कहानियों को जन-साधारण की मूल समस्याओं से जोड़ने का अर्थ साहित्य को समकालीन आंदोलनों से जोड़ना है, उस आंदोलन की मदद करना हैं ।
मनुष्य का परम धर्म एवं अन्य कहानियाँ | Manushya Ka Param Dharm
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Author
Munshi Premchand
Publisher
Pulkit Prakashan
No. of Pages
260
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