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अपनी पीढ़ी के बेहद सम्मानित और चर्चित कथाकार यादवेन्द्र शर्मा 'चन्द' का कथा-संसार रेणु की तरह अपने अंचल की गंध लेकर आया है। हिंदी व राजस्थानी के इस अनूठे रचनाकार का जन्म 15 अगस्त, 1932 को बीकानेर में हुआ। कहानी, उपन्यास, नाटक और कविता ही नहीं, यादवेन्द्रजी ने प्रायः हर विधा में लेखन किया है। उनकी कृतियों पर अनेक टेलीफिल्में और राजस्थानी की पहली रंगीन फिल्म भी बनी है।

'कुर्सी गायब हो गई', 'संन्यासी और सुंदरी', 'दीया जला दीया बुझा', 'एक और मुख्यमंत्री', 'जनानी ड्योढ़ी', 'हजार घोड़ों का सवार', 'खम्मा अन्नदाता', 'ठकुराणी' सहित इनके अब तक साठ उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं। पंद्रह कहानी संग्रह, अनेक नाटक और कविता संग्रह सहित इनके विपुल साहित्य पर अब तक अनेक शोध हो चुके हैं।

अब तक चन्द्रजी को अनगिनत पुरस्कार व सम्मान प्रदान किए जा चुके हैं। इनमें प्रमुख हैं- साहित्य अकादमी, फणीश्वरनाथ रेणु, मीरा, राजस्थान साहित्य अकादमी सम्मान, साहित्य महोपाध्याय, विद्यावाचस्पति, साहित्यमनीषी ।

खून का टीका | Khoon Ka Teeka

SKU: 9789392682307
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₹135.00बिक्री मूल्य
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  • Author

    Yadvendra Sharma

  • Publisher

    Sahityagar

  • No. of Pages

    152

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