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राजस्थान के ऐतिहासिक दुर्ग : राजस्थान का अर्थ है राजाओं द्वारा शासित क्षेत्र। रियासती काल में छोटे से छोटे राजा के पास कम से कम एक दुर्ग का होना अनिवार्य था, जहाँ वह अपने परिवार एवं राजकोष को सुरक्षित रख सकता था। राजस्थान में महाराणा कुंभा जैसे राजा भी हुए हैं, जिसके राज्य में सर्वाधिक 84 दुर्ग थे। एक अनुमान के अनुसार राजस्थान में लगभग प्रत्येक 10 मील पर एक दुर्ग स्थित था। स्वतंत्रता प्राप्ति के समय देश में सर्वाधिक 656 दुर्ग महाराष्ट्र में, 330 दुर्ग मध्यप्रदेश में तथा 250 दुर्ग राजस्थान में थे। राजस्थान के 33 जिलों में शायद ही कोई ऐसा है, जिसमें 5-10 दुर्ग अथवा उनके अवशेष नहीं हों। राजाओं के राज्य समाप्त हो जाने के बाद अधिकतर दुर्ग असंरक्षित छोड़ दिये गये, जिसके कारण ये तेजी से खण्डहरों में बदलते जा रहे हैं। बहुत कम दुर्गों को राज्य अथवा केन्द्र सरकार अथवा निजी क्षेत्र के न्यासों द्वारा संरक्षण दिया जा रहा है। प्रस्तुत पुस्तक राजस्थान में कालीबंगा सभ्यता से लेकर, उत्तरवैदिक काल, महाभारत काल, मौर्य काल, शुंग काल, गुप्त काल, राजपूत काल एवं पश्चवर्ती काल में बने दुर्गों को केन्द्र में रखकर लिखी गई है। इनमें से कुछ दुर्ग अब पूरी तरह नष्ट हो गये हैं, तो कुछ दुर्ग अब भी मौजूद हैं। प्रत्येक दुर्ग को उसके मूल निर्माता राज्यवंश के क्रम में जमाया गया है, ताकि इनका इतिहास शीशे की तरह स्पष्ट हो सके। वस्तुतः इन दुर्गों का इतिहास ही राजस्थान का वास्तविक इतिहास है, जिसे प्रसिद्ध इतिहासकार एवं लेखक डॉ. मोहनलाल गुप्ता द्वारा प्रचुर शोध के पश्चात् लिखा गया है। डॉ. गुप्ता की लेखन शैली रोचक, भाषा कसी हुई और जन-जन की जिह्वा पर चढ़ने वाली है। एक बार यदि आप इस पुस्तक को पढ़ना आरम्भ करेंगे तो पूरी करके ही उठेंगे।

राजस्थान के ऐतिहासिक दुर्ग | Rajasthan Ke Aitihasik Durg

SKU: 9789390179497
₹400.00 नियमित मूल्य
₹360.00बिक्री मूल्य
मात्रा
स्टाक खत्म
  • Author

    Dr. Mohanlal gupta

  • Publisher

    Rajasthani Granthagar

  • No. of Pages

    400

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