मात्र बत्तीस वर्ष के छोटे-से, साथ ही अभावों से जूझते हुए जोवन में भी विश्वभर के गणित के उच्चतम शिखरों को छूने वाले महान्, विलक्षण गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन को गणना महानतम युग- निर्माताओं में की जाती है। उन्होंने वैश्विक गणितीय संसार को ऐसा अद्भुत योगदान दिया, जिसे परिभाषित करने तथा उनके अनेक गणितीय सूत्रों को सिद्ध करने के लिए आज भी सैकड़ों गणितज्ञ प्रयासरत हैं। आज भी वे प्रेरणास्रोत बने हुए हैं। वस्तुतः उनके व्यक्तित्व और कृतित्व को जानकर किसी मानव की प्रतिभा की अपार संभावनाओं को देख चमत्कृत हुए बिना नहीं रहा जा सकता। सुप्रसिद्ध गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन की विलक्षण प्रतिभा को कैम्ब्रिज के प्रो. जी.एच. हार्डी ने पहचाना था और विश्व के गणित-पटल पर उसे उजागर किया था। हमारे देश के महान् राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने अपने संभाषण (इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन नंबर थ्योरी फ़ॉर सिक्योर कम्युनिकेशन- 20 दिसंबर, 2003) में रामानुजन द्वारा गणितीय क्षेत्र में दिए गए योगदान को आज के संदर्भ में भी अत्यंत प्रासंगिक होने के बारे में पर्याप्त प्रकाश डाला था, साथ ही बताया था कि "कैम्ब्रिज के अति प्रसिद्ध गणितज्ञ प्रो. जी.एच. हार्डी ने इस क्षेत्र के विभिन्न प्रतिभावान व्यक्तियों को 100 अंक के पैमाने से आँका है। अधिकतर गणितज्ञों को उन्होंने 100 में से 30 के निकट अंक दिए हैं, कुछ विशिष्ट व्यक्तियों को 60 अंक दिए हैं। केवल रामानुजन को उन्होंने पूरे 100 में से 100 अंक दिए हैं। इससे बढ़कर रामानुजन अथवा गणित में भारतीय विरासत की और क्या प्रशंसा हो सकती है।
विलक्षण गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन । Vilakshan Ganitagya Shriniwas Ramanujan
Author
Dr. Manjula Saxena
Publisher
Sahityagar
No. of Pages
125