भागीरथी की गोद में दुर्गा
काशी का पुनीत प्रांगण! गंगा के दक्षिणी तट पर चिमाजी अप्पा का एक खूबसूरत महलं । महल के एक भाग में मोरोपन्त ताम्बे का निवास । अकस्मात् एक दिन मां दुर्गा की स्तुति सुनाई पड़ती है-
'जय महिषविमर्दिनिशूल करे, जय लोकसमस्तक पाप हरे । जय देवि पितामहविष्णुनते, जय भास्करशक्रशिरोऽवनते।।' 'हे महिषासुर का मर्दन करनेवाली, शूलधारिणी और लोक के समस्त पापों को दूर करने वाली भगवती ! तुम्हारी जय हो ! ब्रह्मा, विष्णु, सूर्य और इन्द्र से नमस्कृत होनेवाली हे देवि! तुम्हारी जय हो, जय हो !!"
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई | Jhansi Ki Rani Lakshmibai
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Parmeshwar Prasad Singh
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