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यह दर्दनाक आवाज ऐसी न थी जिसे सुन कर कोई भी अपने दिल को सम्हाल सकता। हमारा यह बहादुर नौजवान तो एकदम ही परेशान हो गया क्योंकि यह जितना दिलेर और ताकतवर था उतना ही नेक और रहमदिल भी था। आवाज कान में. पड़ते ही मालूम हो गया था कि यह किसी कमसिन औरत की आवाज है जिस पर जरूर कोई जुल्म हो रहा है। आखिर इससे रहा न गया और यह आवाज की सीध पर पश्चिम की तरफ चल निकला।

थोड़ी ही दूर जाने पर फिर वैसी ही दर्दनाक आवाज इस बहादुर के बाई तरफ से आई जिसे सुन यह बाई तरफ को मुझ और थोड़ी ही देर में उस जगह जा पहुँचा जहाँ से पत्थर जैसे कलेजे को भी गला कर बहा देने वाली वह आवाज आ रही थी। ........

पाठक, यह मौका बड़े ही रंज और गम का है। ऐसे किस्सों का लिखना मुझे पसन्द नहीं और न मेरे कलेजे में इतनी मजबूती है। इस समय जो हालत है मैं अपनी कलम से किसी तरह नहीं लिख सकता, तो भी उम्मीद है कि यह भयानक समा अवश्य पाठकों की आँखों में घूम जाएगा और वे जान जायेंगे कि यह कैसा नाजुक मौका है। बहुतों को दुःखान्त नाटक और उपन्यास पसन्द आते हैं। उन लोगों से प्रार्थना है कि बस उसके आगे न पढ़ें। और इस उपन्यास को दुःखान्त ही समझ कर इसी जगह छोड़ दें।

नरेन्द्र मोहिनी | Narendra Mohini

SKU: 9788190473149
₹240.00 Regular Price
₹204.00Sale Price
Only 1 left in stock
  • Author

    Devkinandan Khatri

  • Publisher

    Parag Prakashan

  • No. of Pages

    120

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