समता एवं न्याय पर आधारित समाज का स्वप्न अनेक दार्शनिकों, चिंतकों एवं विचारकों ने देखा है। दुनिया में लोकतंत्र की स्थापना के उपरांत भी न्यायपूर्ण समाज की रचना का प्रश्न अनुत्तरित ही रहा है। सामाजिक न्याय आधुनिक समाज की महत्वपूर्ण माँग है, जिसका मुख्य उद्देश्य मानव द्वारा मानव का शोषण समाप्त करना है। ऐसा तभी संभव है जबकि समाज में ऐसी वितरणात्मक व्यवस्था लागू हो, जिसके अंतर्गत पद, लाभ एवं अवसर कुछ इने-गिने लोगों के हाथ में सिमटकर नहीं रहें बल्कि उनकी उपलब्धता सर्वसाधारण को, विशेषकर दलित, निर्धन एवं निर्बल वर्गों को हो सके ताकि वे सम्मानित एवं गरिमामय जीवन यापन कर सकें। महात्मा गांधी अपने जीवन काल में सामाजिक न्याय के इस जटिल प्रश्न से जूझ रहे थे, क्योंकि उनका युग, द्वितीय महायुद्ध से पूर्व का वह कालखण्ड था, जिसमें यूरोप संसार में फैल रहा था। उसी काल में यूरोप ने धरती पर अन्यायपूर्ण उपनिवेश स्थापित किए तथा वहाँ के संसाधनों का मनमाना प्रयोग स्वयं की समृद्धि के लिए बिना कीमत दिए किया।
सर्वोदय । Sarvoday
Author
Mohandas Karamchand Gandhi
Publisher
JNBS Academy
No. of Pages
88