समाज में आए दिन बहुत कुछ घटित होता है। एक लेखक का संवेदनशील हृदय कैसे उन घटनाओं को अपनी कल्पनाशीलता से तराशकर पठनीय और सार्थक कहानियों का रूप देता है, यह इस कथा संकलन की विशेषता है। प्रत्येक कहानी एक दूसरे से अलग और अनूठी है।
इन कहानियों में लेखक ने सरकारी महकमे में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर किया है, नौकरशाही की विदूपताओं को उकेरा है, गरीबी से जूझने का जज्बा दिखाया है, आधुनिक युवा दिलों में पनपने वाली मुहब्बत और नफ़रत को बखूबी बयां किया है, वृद्धों की उपेक्षा का मार्मिक चित्रण किया हैं, कुदरत के नज़ारों का मनोहारी खाका खींचा है, शिक्षा के महत्त्व को रेखांकित किया है, धन की लिप्सा और उसके उपयोग पर सार्थक बहस छेड़ने की कोशिश की है, साथ ही नशे और वासना के जाल में फँसकर होने वाले अनैतिक कृत्यों का बेबाकी के साथ खुलासा किया है तथा समाज में प्रचलित अंधविश्वासों पर भी चोट की है।
इस संग्रह की कहानियाँ जिंदगी के खुरदरे यथार्थ और कल्पनाशीलता की उड़ान के इर्द-गिर्द घूमती हैं। ये आपके दिल को स्पर्श करती हैं, कहीं हँसाती-गुदगुदाती हैं, मानवीय संवेदना व करुणा से ओतप्रोत कर देती हैं और अंत में आपको ऐसे मोड़ पर छोड़ देती हैं, जहाँ आप गंभीरता से सोचने को विवश हो जाते हैं...
शंभूनाथ का तिलिस्म | Shambhunath Ka Tilism
Author
R.K. Paliwal
Publisher
Manjul
No. of Pages
171