एक उपन्यासकार का मस्तिष्क बहुत हाल के नहीं अपने पूर्वज उपन्यासकारों के पाठ और कथा-विवेक से बनता है। यहाँ एक सुविधा के लिए मान लीजिए कि अब तक हुए सुप्रतिष्ठित उपन्यासकारों के मार्ग विविध-विभिन्न सही, पर उनका केंद्रीय लक्ष्य एक ही रहा होगा—उपन्यास की अब तक प्रस्तुत-प्रचलित परिभाषाओं, कथाओं और संरचनाओं से बाहर चले जाना। इसमें सफलता या असफलता भविष्य का कष्ट है, लेकिन सार्वजनिक होने के बिल्कुल अंतिम क्षणों तक इस प्रयत्न और प्रक्रिया में बने रहना एक महत्त्वपूर्ण विचार-अनुभव है।
वर्षावास । Varshavaas
SKU: 9788195306190
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Author
Avinash Mishra
Publisher
Hind Yugm
No. of Pages
230
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