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'लज्जा' की शुरुआत होती है 6 दिसम्बर 1992 को बाबरी मस्जिद तोड़े जाने पर बांग्लादेश के मुसलमानों की आक्रामक प्रतिक्रिया से। वे अपने हिन्दू भाई-बहनों पर टूट पड़ते हैं और उनके सैकड़ों धर्मस्थलों को नष्ट कर देते हैं। लेकिन इस अत्याचार, लूट, बलात्कार और मन्दिर ध्वंस के लिए वस्तुतः जिम्मेदार कौन है? कहना न होगा कि भारत के वे हिन्दूवादी संगठन, जिन्होंने बाबरी मस्जिद का ध्वंस कर प्रतिशोध की राजनीति का खूंखार चेहरा दुनिया के सामने रखा, भूल गये कि जिस तरह भारत में मुसलमान अल्पसंख्यक हैं, उसी तरह पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिन्दू अल्पसंख्यक हैं। लेखिका ने ठीक ही पहचाना है कि भारत कोई विच्छिन्न जम्बूद्वीप नहीं है। भारत में यदि विष फोड़े का जन्म होता है, तो उसका दर्द सिर्फ भारत को ही नहीं भोगना पड़ेगा, बल्कि वह दर्द समूची दुनिया में, कम से कम पड़ोसी देशों में तो सबसे पहले फैल जाएगा। अतः हम सभी को एक-दूसरे की संवेदनशीलता का खयाल रखना चाहिए और एक ऐसे सौहार्दपूर्ण समाज की रचना करनी चाहिए जिसमें हिन्दू, मुसलमान तथा अन्य सभी समुदायों के लोग सुख और शान्ति से रह सकते हैं।

लज्जा । Lajja

SKU: 9789352291830
₹295.00 Regular Price
₹265.50Sale Price
Only 1 left in stock
  • Author

    Tasleema Nasreen

  • Publisher

    Vani Prakashan

  • No. of Pages

    183

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