नई बात कहने की तलाश में किसी भी कहानी के पहले एक लंबी गहरी चुप होती है। हम उसे सन्नाटा नहीं कह सकते हैं। कोरे पन्ने और भीतर पल रहे संसार के बीच संवादों का जमघट लगा होता है। बहुत देर से चली आ रही चुप में संघर्ष नई बात कहने के आश्चर्य का चल रहा होता है। इस चुप और शांत दिख रहे तालाब के भीतर पूरी दुनिया हरकत कर रही होती है। नया कहने में कुछ नए शब्द मुँह से निकलते हैं, पर उन शब्दों में जिए हुए का वज़न कम नज़र आता है। कुछ भी नया कहाँ से आता है? हमारे जिए हुए से ही। पर हमारे जिए हुए की भी एक सीमा है। हमारे जिए हुए के तालाब का दायरा छोटा होता है शायद इसीलिए किसी भी क़िस्म के नए अनुभव का टपकना कभी हमारे कहे में बड़े वृत्त नहीं बना पाता है।
तितली | Titali
SKU: 9789392820410
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Author
Manav Kaul
Publisher
Hind Yugm
No. of Pages
222
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