वे प्राच्य व नव कवियों के शिरोमणि हैं, शब्दार्थ के आविष्कारक, रचनाओं की अधिकता और उनके आश्चर्यजनक रूप से भेदपूर्ण प्रस्तुतीकरण में वे अद्वितीय थे। यद्यपि गद्य व पद्य में अन्य गुरु भी अद्वितीय हुए हैं, परन्तु अमीर ख़ुसरो सम्पूर्ण साहित्य कला में विशिष्ट और उच्च स्थान पर विराजमान हैं। ऐसा कला मर्मज्ञ जो काव्य की समस्त विशेषताओं में विशिष्ट स्थान रखता हो, इससे पूर्व में न हुआ है और न बाद में संसार के अन्त तक होगा। ख़ुसरो ने गद्य और पद्य में एक पुस्तकालय की रचना की और काव्यशीलता को पुरस्कृत किया है। सर्वगुणसम्पन्न व अलंकारिकता के साथ ही वे अत्यन्त सात्विक थे। अपनी आयु का अधिकतर भाग पूजा-पाठ में व्यतीत किया। कुरान पढ़ते थे। ईश्वरीय आराधना में लीन रहते और प्रायः व्रत रखते थे। वे शेख़ के विशेष शिष्यों में थे। समाअ में तल्लीन रहते थे। संगीत प्रेमी थे। अद्वितीय गायक थे। राग और स्वर रचना में निपुण थे। कोमल और निर्मल हृदय से जिस कला का सम्बन्ध है, उसमें वे सर्वगुणसम्पन्न थे। उनका अस्तित्व अद्वितीय था और अन्त समय में उनका स्वभाव भी अत्यधिक प्रेममय हो गया था।
अमीर ख़ुसरो - भाषा, साहित्य और आथ्यात्मिक चेतना | Ameer Khusaro
Zakir Husain Zakir