DHIKKAR {MUNSHI PREMCHAND}
- Kitabeormai Publications
- Apr 28, 2021
- 1 min read

अनाथ और विधवा मानी के लिये जीवन में अब रोने के सिवा दूसरा अवलंब न था। वह पाँच वर्ष की थी, जब पिता का देहांत हो गया। माता ने किसी तरह उसका पालन किया। सोलह वर्ष की अवस्था में मुहल्ले वालों की मदद से उसका विवाह भी हो गया पर साल के अंदर ही माता और पति दोनों विदा हो गये…….
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