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उतना कभी किसी को नहीं मिलता जितने की चाह होती है लेकिन उतना हर बार बच जाता है जितने के साथ जीवन जिया जा सके। जो बचा, जो जिया, जो जीना बाकी है, जिसमें प्रतीक्षा छिपी है, जहाँ प्रेम का वास है, जहाँ जीवन की हर भावना और विभिन्न पहलू शामिल हैं, जिस क्षण जीवन का अर्थ समझा, जहाँ खुद को निरर्थक पाया और ना जाने ऐसी कितनी ही बातें जिनका जब निचोड़ निकाला गया तो बनी ना जाने कितनी ही कविताएँ।

लगभग चार-पाँच बरस पहले अपने आप को अलग-अलग प्रवृत्ति की भावनाओं में जब जकड़ा हुआ पाया तब लिखना शुरू कर खुद को भीतर से खाली करना शुरू कर दिया। जहाँ पहले मन में अलग-अलग तरह के विचारों का घेराव था। अब वहाँ वसन्त में खिले फूलों सी ऊर्जा का निवास है। कुछ समय पश्चात जब लिखने के साथ, आप सभी के साथ इसे बांटना शुरू किया तो जाना कि हम सबके सुख-दुःख, हीन भावना, ईर्ष्या, प्रेमभाव आदि भावनाएँ लगभग एक जैसी ही होती हैं। बस इन तक पहुँचने का हमारा माध्यम अलग-अलग है।

जाना ज़रूरी है क्या! । Jana Jaruri Hai Kya!

SKU: 9788198133601
₹225.00 नियमित मूल्य
₹202.50बिक्री मूल्य
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स्टाक खत्म
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  • Author

    Aishwarya Sharma

  • Publisher

    Pankti Prakashan

  • No. of Pages

    124

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