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यह सम्भव है कि संसार में जो बड़ी-बड़ी ताकतें काम कर रही हैं, उन्हें हम पूरी तरह न समझ सकें लेकिन इतना तो हमें समझना ही चाहिए कि भारत क्या है और कैसे इस राष्ट्र ने अपने सामाजिक व्यक्तित्व का विकास किया है। उसके व्यक्तित्व के विभिन्न पहलू कौन से हैं और उसकी सुदृढ़ एकता कहाँ छिपी हुई है। भारत में बसने वाली कोई भी जाति यह दावा नहीं कर सकती कि भारत के समस्त मन और विचारों पर उसी का एकाधिकार है। भारत आज जो कुछ हैं, उसकी रचना में भारतीय जनता के प्रत्येक भाग का योगदान है। यदि हम इस बुनियादी बात को नहीं समझ पाते तो फिर हम भारत को भी समझने में असमर्थ रहेंगे। और यदि भारत को हम नहीं समझ सके तो हमारे भाव, विचार और काम, सब-के-सब अधूरे रह जाएँगे और हम देश की ऐसी कोई सेवा नहीं कर सकेंगे, जो ठोस और प्रभावपूर्ण हों।

मेरा विचार है कि 'दिनकर' की पुस्तक इन बातों को समझने में, एक हद तक सहायक होगी। इसलिए, मैं इसकी सराहना करता हूँ और आशा करता हूँ कि इसे पढ़कर अनेक लोग लाभान्वित होंगे।

संस्कृति के चार अध्याय | Sanskriti Ke Chaar Adhyay

SKU: 9789352210848
₹699.00 Regular Price
₹629.10Sale Price
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Out of Stock
  • Author

    Ramdhari Singh Dinkar

  • Publisher

    Lokbharti Prakashan

  • No. of Pages

    726

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