बुश ने मुशर्रफ से कहा, "हमें सूचना मिली है कि कराची के बाज़ार में एक बुर्केवाली ने तड़पकर कहा, "तूने मुझे कैसे पहचान लिया बदज़ात?"
दूसरी बुर्केवाली ने कहा, "घबरा मत। मैं मुल्ला उमर हूँ।"
मुशर्रफ ने चिढ़कर कहा, “यह सूचना नहीं चुटकुला है। ये भारतीय हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकते तो हमारे विरुद्ध ऐसे चुटकुले बनाने लगते हैं।"
“यह सब तो आपका प्रचार मात्र है।" मुफ्ती साहब बोले, "मैं तो इस देश में धार्मिक वातावरण बना रहा हूँ। अब देखिये, यह रमजान का महीना है और हमारे लड़के जेलों में पड़े रहें, यह कोई अच्छा लगता है?"
“यह तो मैं भी जानता हूँ किंतु आपके ये तथाकथित लड़के रोज़ा रखने के लिए अक्षरधाम और रघुनाथ मंदिर ही में क्यों पहुँच जाते हैं?"
सब से बड़ा सत्य । Sab se Bada Satya
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Author
Narendra Kohli
Publisher
Rajpal & Sons
No. of Pages
152
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