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"हाथ में पर्वत शिखर उठाए, हवा में उड़ते हुए पवनपुत्र हनुमान स्वयं पर्वत के समान लग रहे थे। वे सहस्त्र धार वाला ज्वलंत चक्र हाथ में लिए, भगवान विष्णु की तरह मनोहर प्रतीत हो रहे थे।"

वाल्मीकि रामायण युद्ध कांड, 74वा सर्ग:

रामायण में अपनी भूमिका के लिए प्रसिद्ध हनुमान, अपने चंचल स्वभाव, आश्चर्यजनक शारीरिक शक्तियों तथा भगवान राम के प्रति निस्वार्थ भक्ति के कारण हिंदुओं के सबसे प्रिय देवताओं में से एक माने जाते हैं। वानर रूप में, वे सदा अशांत रहने वाले मानव मस्तिष्क के प्रतीक हैं। ये हमें सिखाते हैं कि हालांकि प्रत्येक व्यक्ति पशु रूप में जन्म लेता है, किंतु कडे अनुशासन एवं दृढ़ता द्वारा कोई भी आध्यात्मिक विकास की ऊंचाइयों प्राप्त कर सकता है। शक्तियाँ पाने के उद्देश्य से निस्वार्थ भक्ति द्वारा अपने मस्तिष्क को निर्दोष बनाकर हनुमान उस उच्चतम सामर्थ्य का मूर्त रूप बन गए हैं, जिसे हम प्राप्त कर सकते हैं।

बनमाली इस पुस्तक में हनुमान के जन्म से लेकर रामायण में उनके साहसिक कारनामों तक 36 प्रसिद्ध कथाओं का वर्णन करती हैं और उनमें निहित आध्यात्मिक पाठों, यौगिक प्रथाओं एवं वैदिक ज्योतिष शास्त्र के पक्षों को उजाकर करती हैं। वे दर्शाती है कि किस प्रकार हनुमान के भीतर अपने भक्तों को निस्वार्थ भक्ति और शक्ति प्रदान करने का सामर्थ्य है, उदाहरण का पालन करना, राम का आशीर्वाद प्राप्त करने का अचूक मार्ग है। और हनुमान के

श्री हनुमान लीला एक ऐसी पुस्तक है जो हनुमान के चरित्र का वर्तमान समय तक, जहाँ यह माना जाता है कि वे आज भी हिमालय में तपस्या कर रहे हैं, पूर्णता के साथ वर्णन करती है। यह पुस्तक हनुमान और भगवान राम के सभी भक्तों ...

श्री हनुमान लीला | Shree Hanuman Lila

SKU: 9788183227247
₹295.00 Regular Price
₹265.50Sale Price
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Only 1 left in stock
  • Author

    Vanmali

  • Publisher

    Manjul

  • No. of Pages

    312

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