top of page
Product Page: Stores_Product_Widget

वेद से लेकर पुराणों तक समस्त ग्रंथ छंदबद्ध और गेय हैं। अर्थात् भारत की भाव भूमि कथ्य, शैली और सुर की त्रियुति है। हिरण्यगर्भ के महाविस्फोट से विकीर्ण अणु-परमाणुओं के सृजक दैवीकण 'गॉड पार्टिकल' के नर्तन से प्रारम्भ इस सृष्टि-नाट्य का अंतिम अंक नटराज के ताण्डव नृत्य से पटाक्षेप करता है।

"जीवन विश्व रंगमंच पर विभिन्न कलेवर धारण करती जीवात्माओं का नाट्य है, जिसमें मुखौटे और 'मेकअप' बदलते हैं, पात्र नहीं। यह विश्वात्मा का एकपात्री नाट्य है, सब पात्रों में वही अंशी है और वह उनसे इतर सूत्रधार भी है।" यह उपमा तो बहुत सुंदर व सटीक है, किन्तु इस प्रपंच-जगत में तो सत-रज-तम के भिन्न-भिन्न अनुपात और उसके अनुरूप आसुरी और देवीय देहें उपलब्ध हैं। तब समाज के चारण, रक्षण, पोषण के लिए किस प्रकार के आचार-व्यवहार की अपेक्षा है, इसे भद्रजनों को तय करना पड़ता है। नाट्य जीवंत तभी होता है जब कलाकार पात्र को केवल नाट्य मंच पर ही नहीं, जीवन व्यवहार में भी जीता है तथा दर्शक भाव- हिलोरों के साथ पटकथा-संवादों की अतल, कथ्य-अकथ्य गहराइयों में भाव का अवगाहन करता है। यहाँ से नाट्य लेखक की भूमिका प्रारम्भ होती है।

शौर्य प्रधान नाटक । Shaurya Pradhan Natak

SKU: 9788179320532
₹200.00 Regular Price
₹170.00Sale Price
Quantity
Only 2 left in stock
  • Author

    Umesh Kumar Chaurasiya

  • Publisher

    Sahitya Chandrika

  • No. of Pages

    120

No Reviews YetShare your thoughts. Be the first to leave a review.

RELATED BOOKS 📚 

bottom of page