“मैं अनायास बैंक डकैती का गवाह बन गया। मैं पाँच डाकुओं में से एक की शिनाख्त कर बैठा और उसे फांसी दिलवाने की वजह बना। नतीजतन बाकी के चार डाकू मेरी जान के दुश्मन बन गए। जान बचाने के लिए मुझे अपनी बैंक की नौकरी छोड़नी पड़ी, शहरबदर होना पड़ा। फिर चार साल बाद . . .” टॉप मिस्ट्री राइटर सुरेन्द्र मोहन पाठक की चमत्कारी लेखनी की यादगार दस्तावेज
मेरी जान के दुश्मन । Meri Jaan Ke Dushman
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Author
Surendra Mohan Pathak
Publisher
Om Sai Tech Books
No. of Pages
208
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