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विनोद कुमार शुक्ल ऐसे कथाकार हैं जिन्होंने कम कहानियाँ लिखकर भी इस विधा पर अपनी गहरी छाप छोड़ी है। साधारण आय वाले मामूली लोग, उनके छोटे-छोटे जीवन संघर्ष और स्मृतियों का संसार उनकी कहानियों का निर्माण करते हैं।

रुपये और बोझ जैसी उनकी कहानियाँ मामूली लोगों के जीवन में कठिन परिश्रम से कमाए गए रुपयों के मूल्य की कहानियाँ हैं जिनमें खास ढंग का परिवेश और पात्रों का मिजाज कहानियों को अविस्मरणीय बनाता है। पेड़ पर कमरा प्रकृति और मनुष्य के साहचर्य की कथा है तो गोष्ठी साहित्य में तानाशाही का विरल चित्र है।

महाविद्यालय को शुक्ल जी की प्रतिनिधि कहानी माना जाता है जहाँ मनुष्य और बाज़ार का द्वन्द्व हमारे समय के विद्रूप का बखान करता है। आदमी की औरत और मछली शुक्ल के कथा-संसार का स्त्री पक्ष ही नहीं हैं, बल्कि यहाँ पितृसत्तात्मक विचार के विरुद्ध कथाकार की अपनी अर्जित की हुई दृष्टि है।

महाविद्यालय संग्रह की कहानियों की भंगिमाएँ कहानी के ख़ास शुक्ल-शिल्प का उदाहरण बन गई हैं। अपनी तरह के कथा रस से भरी इन कहानियों को पढ़ना स्मृति और जीवन के संसार में प्रवेश करना है जहाँ कहानीकार आशा और उजास की तमाम सम्भावनाएँ बचाए रखता है।

महाविद्यालय | Mahavidyalay

SKU: 9789393768124
₹175.00 Regular Price
₹157.50Sale Price
Quantity
Out of Stock
  • Author

    Vinod Kumar Shukl

  • Publisher

    Rajkamal Prakashan

  • No. of Pages

    112

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