कश्मीरी लेखिकाओं की तेजस्वी पीढ़ी में अपनी गहन रचनात्मकता से अपना अलग मुहावरा विकसित करती नीलिमा टिक्कू, एक ऐसी समर्थ रचनाकार हैं जो व्यंग्य लेखन में जितनी सार्थक और समर्थ हैं उतनी ही सामाजिक सरोकारों के प्रति सचेत अपनी सहज, सघन अभिव्यक्ति के चलते रेखांकित करने योग्य मुकाम निर्मित कर रही हैं। उनके इस नये कथा संकलन की ध्यानाकर्षण करने वाली कुछेक उल्लेखनीय कहानियाँ 'मिट्टी की खुशबू', 'नासूर', 'मोहभंग', 'कड़वा सच', 'दूसरी बेटी की चाह' आदि उसी मुकाम का मज़बूत पायदान है। जो निर्मित किया है उसने अपने मुहावरे के साथ। नीलिमा का रचनाकार सामाजिक कार्यों के प्रति जितना प्रतिबद्ध है अपनी ज़िन्दगी में - कथातत्व को आम और खास जीवन से बटोरते बीनते रचते हुए एक सतत् सजग मनोवैज्ञानिक का रूप धर लेता है कि कथाओं को पढ़ते हुए सुधी पाठक को वे अपने भीतर की खलबलाती स्थितियाँ लगती है।
इस नये कथा संकलन को लेकर हम नीलिमा टिक्कू से बहुत उम्मीद बाँधे हुए हैं, हमें लगता है कि वो अपने पड़ाव पर खरी उतरेंगी।
सस्नेह
चित्रा मुद्गल
वरिष्ठ साहित्यकार एवं
समाज सेवी
पीले गुलाब | Peele Gulab
Author
Nilima Tikku
Publisher
Devnagar Prakashan
No. of Pages
128