कहते हैं कि आमने-सामने के युद्ध में किसी एक समूह का दूसरे समूह यानी किसी राज्य की विशाल सेना को पराजित कर उस पर विजयश्री पाना या अपने विश्वासपात्रों की वजह से हार का मुँह देखना, यह निर्णय कर पाना किसी के वश में नहीं होता। कुछ लोग मृत्यु को सामने देख दुश्मन से मित्रता कर उसके पैरों में गिरकर जीवन की भीख माँगने में अक्लमंदी समझते हैं, किन्तु योद्धा वही होते हैं जो विपत्ति की घड़ी में ललकार कर शौर्य का परिचय देते हैं।
प्रस्तुत पुस्तक 'निर्णायक युद्ध' में वरिष्ठ साहित्यकार श्रीरमाकान्त पाण्डेय 'अकेले' ने ऐसी अनेक प्राचीन गाथाओं को अपनी लेखनी में शामिल किया है, जिनमें जहाँ एक ओर श्रद्धा, प्रेम एवं आपसी मेलजोल का तालमेल है तो वहीं दूसरी और विश्वास के साथ-साथ छल-कपट एवं विरोध की भावना से विजयश्री पाना भी प्रतीत होता है। अमूल्य पुस्तक 'निर्णायक युद्ध' में 'जगन्माता ललिते' से लेकर 'विलक्षण साधु' तक कुल तेईस लघुकथाओं का समावेश है। प्रत्येक लघुकथा को सुप्रसिद्ध इतिहासकार श्री रमाकान्त पाण्डेय 'अकेले' ने अतिरोचक शब्दों से संजोया है, जो कि सराहनीय तथा बहुप्रशंसनीय कार्य है।
निर्णायक युद्ध | Nirnayak Yuddh
Author
Ramakant Pandey 'Akele'
Publisher
Granth Vikas
No. of Pages
144