भारत देश के नागरिकों को ब्रिटिश शासन की दमनकारी नीतियों तथा अंग्रेजों के जुल्मों-सितम से बेगुनाह भारतवासियों को स्वतन्त्रता की खुली हवा में सुखमय जीवन जीने की सौगात देने में अनेक स्वतन्त्रता सेनानियों तथा क्रान्तिकारियों ने अपने-अपने रवैयेनुसार देशसेवा के खातिर तन-मन-धन यहाँ तक कि समय आने पर अपने प्राणों को भी न्यौछावर कर दिया। उन महान् विभूतियों व भारत माता के सपूतों ने अगर खुले नेत्रों से कोई स्वप्न देखा तो वह था, "भारत देश को आजाद करवाना" जिसके लिए उन्होंने अपने कदमों को कभी पीछे न हटने दिया, बल्कि अंग्रेजों की हर रणनीति का डटकर विरोध करते-करते अपना आखिरी स्वास भी देश सेवा में लगाकर जगत- जननी की कोख को अमर करते हुए दुनिया को अलविदा कह गए।
भारत को आजादी दिलवाने में अनेक देशभक्तों ने भारत की पवित्र धरा पर जन्म लिया तथा सम्पूर्ण जीवन देशसेवा में लगाया। उन्हीं महान् विभूतियों में एक हुए हैं "सुभाष चन्द्र बोस" जिन्हें भारत के स्वर्णिम इतिहास में "नेताजी" के नाम से भी जाना गया। बोस बचपन से ही देशसेवा कार्यों में अग्रणी रहे, उन्होंने बाल्यावस्था से ही अपने सहपाठियों के साथ मिलकर देश की स्वतन्त्रता के स्वप्न देखने शुरू कर दिए थे।
तरुण के स्वप्न । Tarun Ke Swapn
Author
Netaji Subhash Chandra Bose
Publisher
Apollo Prakashan
No. of Pages
128