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जौन साहब की इस किताब को आने में सात बरस बिल्कुल उसी तरह लगे जैसे उनके मजमूए बहुत देर से शाये हुए। हाँ, वजह अलग-अलग हो सकती है। साल 2011 की बात है, एक दिन इंटरनेट का सफ़र करते-करते न जाने कहाँ से मैं जौन साहब के इस क़तआ तक पहुँच गया-

शर्म, दहशत, झिझक, परेशानी नाज़ से काम क्यों नहीं लेती

आप, वो, जी, मगर ये सब क्या है. तुम मेरा नाम क्यों नहीं लेती

ये क़तआ मुझे पागल होने से बचा सकता था, मगर अंदाजे जौन का क्या, उससे तो नहीं बचा जा सकता था। सो, जाहिर सी बात है- मैंने जौन साहब के नशे में उतरना शुरू कर दिया और जौन साहब की शायरी ने अपना असर दिखाना।

जौन एलिया | Jaun Elia

SKU: 9789384419998
₹249.00 Regular Price
₹224.10Sale Price
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Out of Stock
  • Author

    Muntazir Firozabadi

  • Publisher

    Hind Yugm

  • No. of Pages

    239

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