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सरदार अली पड़िहार राजस्थानी अर हिंदी भासा रा चावा ठावा उपन्यासकार, कवि अर लेखक है। आप गद्य अर पद्य दोनूं विधावां में लिखण री महारत राखे । आपरा लिख्योड़ा उपन्यास अर कहाणियां री पोथ्यां नैं लोग चाव सूं पढै। साहित्य री न्यारी-न्यारी विधावां में पड़िहार सा'ब से अंक दरजन सूं बेसी पोथ्यां छप चुकी है। जिकी पाठकां रै हियै अर दिमाग मांय आपरी अमिट छाप छोडण में कामयाब रैयी है। आपरे 'भारत से सिरमौड़' नांव सूं छप्योड़े महाकाव्य में आप हरेक छन्द रै लारै 'ली' सबद सूं हरेक ओळी नैं पूरी करी है। इण जोग इण पोथी रा 3322 छन्दां में 6644 ओळ्यां में 'ली' नैं दरसाईजी है। ओ अपने आप में ओक अनूठो अर सरावण जोग काम है। सरदार अली जी रै साहित्य माथै लघु शोध-प्रबंध भी लिखीज्यो है। प्रस्तुत उपन्यास 'उडग्या पंख पसार' जद पाठक पढणो सरू करै तो बो इनमें इत्तो रम जावै के जठै तांई उपन्यास पूरो नीं हुवै तद तांई वो सो को भुला 'र उपन्यास साथै ही जुड्यो रैवै। उपन्यास ओक प्रेमकथा नैं दरसावतो थको समाज नैं मारग-दरसण देवतो निजर आवै। जियां- उपन्यास री नायिका नीलू कैवै के समाज रा लोग भूँडी रीतां इण जोग करै है के बांरो नांव समाज में ऊंचो हुवै अर समाज रा लोग खाने घणा मानै नीलू लोगां ने बतावै के थे समाज री नाड़ पकड़ो वा कैवे के समाज बां लोगां नैं ही मान-आदर देवै है जिकां कनै नीचे लिखी औ च्यार बातां हुवै- 1. थे निरोग रैवणा चाहीजो रोगले नै समाज नीं पूछे। - 2. थे मिलणसार हुवणा चाहीजो- बैड़े मिनख नैं समाज न मानै। 3. थां कनै पईसो हुवणो चाहीजै- कंगाल नैं समाज नीं पूछै । 4. थांरो चरित्र चोखो हुवणो चाहीजै - चोर-जार नैं समाज नीं पूछे। इणी तरहां इण उपन्यास री नायिका नीलू मिनख अर लुगायां नैं साचो

उडग्या पंख पसार । Udgya Pankh Pasar

SKU: 9789382437079
₹150.00 Regular Price
₹127.50Sale Price
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Out of Stock
  • Author

    Sardar Ali Padihar

  • Publisher

    Pustak Mandir

  • No. of Pages

    96

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