एक दुनिया जो हमारे इर्द-गिर्द होती है, जहाँ हम रहते हैं, हमारे कम्फ़र्ट ज़ोन की दुनिया और एक दुनिया उससे कहीं दूर- हमारे सपनों की दुनिया। लेकिन उस दूसरी दुनिया तक पहुँचना इतना आसान नहीं होता।वहाँ पहुँचने के लिए कुछ सीमाएँ लाँघनी पड़ती हैं,पार करने होते हैं मुश्किलों के कुछ दरकते हुए पहाड़।और कभी-कभी जान तक मुश्किल में डालनी पड़ती है। शायद इसलिए हममें से ज़्यादातर लोग वहाँ जाने से बचते हैं। सुविधाओं की सीमारेखा के पार मन के उन प्रतिबंधित इलाक़ों में पहुँचने के लिए हम सभी कोपार करनी होती एक लाइन, इनर लाइन और खोजना होता है अपना-अपना इनर लाइन पास। उमेश पंत का यात्रा-वृतांत 'इनरलाइन पास' एक ऐसी ही यात्रा की कहानी है जो बाहर की दुनिया के साथ-साथ मन के भीतर भी चलती है। 18 दिनों में पूरी हुई इस क़रीब 200 किलोमीटर की पैदल यात्रा के रोमांचक अनुभवों का एक गुलदस्ता है ‘इनरलाइन पास’ जो आपको ख़ूबसूरती और जोख़िमों के एकदम चरम तक लेकर जाता है।
इनरलाइन पास | Innerline Pass
Author
Umesh Pant
Publisher
Hind Yugm
No. of Pages
160