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गौतम राजऋषि भारतीय सेना में कर्नल हैं। उनकी अभी तक अधिकांश पोस्टिंग कश्मीर के आतंकवाद ग्रस्त इलाकों और बर्फ़ीली ऊँचाइयों पर 'लाइन ऑफ कंट्रोल' पर हुई है। उन्होंने दुश्मनों के साथ कई मुठभेड़ों का डटकर सामना किया और एक बार तो गम्भीर रूप से घायल भी हुए । 'पराक्रम पदक' और 'सेना मैडल' से सम्मानित कर्नल गौतम राजऋषि की राइफ़ल के अचूक निशाने की तरह ही उनकी कलम भी अपना प्रभाव छोड़ती है। एक तरफ़ जहाँ वे अपनी ड्यूटी पर तैनात रहते हैं, वहीं जो भी फ़ुरसत की घड़ियाँ मिलती हैं, उनमें कलम उठा लेते हैं। पिछले कुछ वर्षों में उनकी कहानियाँ हंस, वागर्थ, पाखी आदि पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं।

चुनौतीपूर्ण फ़ौजी जीवन को उन्होंने करीब से जिया और देखा है। इस बीच कई ऐसी घटनाएँ हुईं और ऐसे पात्र मिले जो यादगार बन गये । इन्हीं अनुभवों और स्मृतियों को लेकर उन्होंने कहानियाँ लिखीं जो इस पुस्तक में सम्मिलित हैं। इन कहानियों में फ़ौजी जीवन की वो झलक मिलती है जो आम नागरिक से बहुत ही अलग है और जिसे पढ़ते पाठक फ़ौजी माहौल में पहुँच जाता है।

यह गौतम राजऋषि की दूसरी पुस्तक है। उनकी पहली पुस्तक, पाल ले इक रोग नादान, जो ग़ज़लों का संकलन थी, काफ़ी लोकप्रिय और चर्चित रही ।

हरी मुस्कुराहटों वाला कोलाज । Hari Muskurahaton wala Collage

SKU: 9789386534422
₹195.00 नियमित मूल्य
₹175.50बिक्री मूल्य
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  • Author

    Gautam Rajrishi

  • Publisher

    Rajpal & Sons

  • No. of Pages

    144

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