मुझे घर आये हुए दस दिन भी नहीं हुए थे कि कप्तान विलियम रोबिन्सन एक दिन मेरे घर आये। कोरनिश निवासी यह कप्तान तीन सौ टन के मजबूत जहाज होपवेल के कमांडर थे। पहले मैं एक जहाज में डॉक्टर था और वे इसी जहाज के मालिक थे। लेवेंट यात्रा करते समय उस जहाज के मालिकों में से एक थे। उन्होंने मुझे सदैव ही अपने भाई की तरह माना और कभी भी कर्मचारी नहीं समझा। यह सुनकर कि मैं घर आ गया हूँ वह मुझसे मिलने आए मेरे लिए उस समय मेरा विचार था कि वह केवल दोस्ती निभाने के लिये आया है। यह कोई नयी बात नहीं थी क्योंकि बहुत दिनों के बाद जब कोई अपने घर आता है तो बहुत से लोग उससे मिलने के लिये आते हैं लेकिन अब वह अक्सर मुझसे मिलने आने लगा। उसने खुशी प्रकट की कि अब मेरा स्वास्थ्य ठीक हो लगा।
साहसिक यात्री गुलीवर | Sahsik Yatri Guliver
Author
Jaunathan Swift
Publisher
Vani Prakashan
No. of Pages
150