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महान समाज सुधारक "कैथरिन" के जीवन यात्रा को अंग्रेजी से हिन्दी भाषानुवाद करने वाले महान भारतीय क्रान्तिकारी

रामप्रसाद बिस्मिल का जीवन-परिचय

भारत के महान् क्रान्तिकारी रामप्रसाद बिस्मिल का जन्म 11 जून, 1897 को उत्तर प्रदेश के जिला शाहजहाँपुर में पिता श्री मुरलीधरजी के घर हुआ। रामप्रसाद बिस्मिल को बचपन से ही पुस्तकें पढ़ने का शौक रहा तथा इस शौक ने उन्हें देशभक्त होने के साथ-साथ प्रसिद्ध साहित्यकार बना दिया। इन्होंने अपने क्रान्तिकारी जीवन में कई पुस्तकें लिखीं। कहा जाता है कि उस समय समस्त पुस्तकों को ब्रिटिश सरकार ने जब्त कर लिया, क्योंकि रामप्रसाद बिस्मिल भारतवासियों को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति दिलाने का प्रण ले लिया था। बिस्मिल ने अपने क्रान्तिकारी साथियों के साथ मिलकर ब्रिटिश सरकार को यह आभास करा दिया था कि आने वाला समय अंग्रेजी सरकार के लिए घातक सिद्ध होगा। इसी वजह से ब्रिटिश हुकूमत ने रामप्रसाद बिस्मिल की पुस्तकों को प्रकाशित नहीं होने दिया।

रामप्रसाद बिस्मिल को क्रान्तिकारी, समाज-सुधारकों तथा देशभक्तों की जीवनियाँ पढ़ने का शौक था, क्योंकि वह उनके नक्शे कदम पर चलते हुए दिन-प्रतिदिन देशसेवा कार्यों में आगे बढ़ रहे थे। इसी बीच उन्होंने रूस की मूल निवासी महान् समाज-सुधारक "कैथरिन" की जीवनी को पढ़ा तथा कैथरिन के कार्यों से प्रभावित होकर उक्त पुस्तक को अंग्रेजी से हिन्दी भाषानुवाद करके प्रकाशित करवाया। इस कार्य में लाला लाजपतराय ने अपनी अहम भूमिका निभाई।

भारत के महान् सपूत रामप्रसाद बिस्मिल ने अल्पायु में ही अपने देशवासियों के लिए कई अनगिनत क्रान्तिकारी कार्य किए, जो इतिहास के पृष्ठों 

स्वाधीनता की देवी कैथरिन । Swadheenta Ki Devi Catherine

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