मेरे लिए यात्रा, मेरे भीतर अनवरत चलती एक तलाश का जैसे प्रत्युत्तर है। न जाने क्यों सुदूर देश की धरती, उसकी सुनी-अनसुनी कहानियाँ, वहाँ के निवासियों के प्रति एक अपरिभाषित उत्सुकता मेरे मन में रहस्य का एक तन्तुजाल बुनती है जो मेरी चेतना पर छा कर मेरे अस्तित्व को बेचैनी से भर देता है। बहुधा कहा जाता है कि प्रसन्नता कहीं बाहर नहीं प्राप्त होती, उसका स्रोत मनुष्य के भीतर है, मनुष्य के हृदय में है, फिर भी हम प्रसन्नता को बाहर खोजते हैं - सांसारिक वस्तुओं में या अपने से दूसरे के अस्तित्व में। सबके लिए प्रसन्नता के अर्थ भिन्न होते हैं, उसी के अनुसार हर कोई अपने जीवन में अपनी इच्छाओं और रुचियों को ढालता चला जाता है, शायद इसीलिए अनुसंधान के लिए यात्रा या यात्रा के मध्य अनुसंधान मेरा आकर्षण बन गया है।
सरे राह चलते चलते | Sare Rah Chalte Chalte
Author
Kusum Ansal
Publisher
Rajpal & Sons
No. of Pages
144