प्रस्तुत काव्य के रचयिता श्री शिवगोविन्द त्रिपाठी का जम्म उत्तर प्रदेश में नैमिषारण्य तीर्थ के समीप हरदोई जिले के अन्तर्गत सण्डीला नगर में चैत्र शुक्ला भ्रष्टमी, बुधवार को सं० १६५५ (सन १८१८) में श्री शिवनारायण त्रिपाठी के घर हुआ था । प्रापके पितामह श्री कालिकाप्रसाद त्रिपाठी की यह हार्दिक इच्छा थी कि वंशवर संस्कृत के प्रतिष्ठित विद्वान् बनकर प्राचीन ब्राह्मण परम्परा को सुशोभित करें । एतदर्थं पाप अपने पूज्य पितामह की इच्छा पूर्ति एवं अपनी वैयक्तिक रुचि के अनुरूप संस्कृत प्रध्ययन की दिशा में निरन्तर प्रगति करने लगे ।
श्रीगान्धिगौरवम् | Shrigandigauravam
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Dr. Shivsagar Tripathi
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